विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दो दिन पहले चैटजीपीटी, बार्ड, बर्ट, बिंग एआई, जैस्पर एआई जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ऐप के दुरुपयोग को लेकर चेतावनी जारी की है। इसने कहा है कि लोगों की सेहत और सुरक्षा जैसे मसलों में इनका प्रयोग जोखिम भरा हो सकता है। डब्ल्यूएचओ से पहले साइबर सिक्युरिटी के लिए भारत (India) की नोडल एजेंसी इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रेस्पांस टीम (CERT-In) ने भी एडवाइजरी जारी की। इसने कहा है कि इन ऐप का इस्तेमाल फेक न्यूज (Fake News) और मिसइन्फॉर्मेशन में, फिशिंग मैसेज (Manage) लिखने अथवा डीप फेक टेक्स्ट तैयार करने में किया जा सकता है। इनकी मदद से फर्जी वेबसाइट (Fake Website) और वेब पेज बनाकर यूजर को लिंक अथवा अटैचमेंट के जरिए मालवेयर भेजा जा सकता है। चैटजीपीटी की पेरेंट कंपनी ओपन-एआई के सीईओ सैम ऑल्टमैन इसी हफ्ते मंगलवार को अमेरिकी सीनेट के सामने पेश हुए और इसके दुरुपयोग पर चिंता जताई। टेस्ला के सीईओ इलोन मस्क भी कह चुके हैं कि एआई आने वाले समय में न्यूक्लियर हथियारों से ज्यादा खतरनाक साबित होगा। जागरण प्राइम ने इस विषय पर कई विशेषज्ञों से बात की। उनका कहना है कि साइबर क्रिमिनल्स न सिर्फ इन ऐप का दुरुपयोग कर रहे हैं, बल्कि इनकी मदद से ये क्रिमिनल्स ज्यादा सफाई से अपने काम को अंजाम देने लगे हैं। विशेषज्ञों ने यह भी बताया कि निकट भविष्य (Future) में इन ऐप का और क्या रूप दिख सकता है।
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