जीवन जीने की कला सिखाती है भागवत कथा-गंगा पुत्र त्रिदंडी स्वामी

 


11 अक्टूबर को श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ की कलश यात्रा


गाजीपुर जनपद के नोनहरा स्थित बडा पोखरा पर आयोजित चातुर्मास व्रत के दौरान गंगा पुत्र त्रिदंडी स्वामी जी महाराज ने कहा की

यह मानव जीवन जो है अनेक योनियो के भोगने के बाद, परमोशन योनि में आए है। इससे पहले हम सभी डिमोसन में थे,ऐसे शरीर को प्राप्त करके इस शरीर द्वारा,धर्म,अर्थ,काम,मोक्ष,चार चीजों को प्राप्त कर सकते है। इन चारो मे जो लक्ष्य हमारा है वो मोक्ष ही है।तीन जो है वह स्वत: प्राप्त हो जाता है। जैसे मनुष्य भोजन करता है तो भोजन करने के बाद भूख समाप्त हो जाता है,शरीर पुष्ट हो जाता है, और भूख की निवृति हो जाती है। उसी प्रकार मोक्ष की कामना करते है, तो तीन काम स्वत: हो जाते है। इसलिए वेदांत में निवेदन किया गया है।अथातो धर्म जिज्ञासा अथातो ब्रम्ह जिज्ञासा। ऐसे ब्रम्ह की जिज्ञासा के प्यास को बढ़ा दे उसी का नाम है भागवत।मानव जीवन को जीने की कला सीखा दे उसका नाम है भागवत, मनुष्य के बुद्धि दिल दिमाग को सन्मार्ग ,भगवान में लगा दे वह है भागवत।मनुष्य को अपने स्वरूप का ज्ञान करादे उसका नाम है भागवत।गंगा पुत्र त्रिदंडी स्वामी जी महाराज ने बताया की

11 अक्टूबर को सुबह 9 बजे से श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ की कलश यात्रा का आयोजन. यज्ञ की पुर्णाहुति 16 अक्टूबर को एवं भंडारा 11 बजे से किया जायेगा।

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