शेरपुर संवाद: प्रख्यात स्वाधीता सेनानी बालेश्वर नारायण राय की पावन स्मृति में रचनात्मक विमर्श
नए भारत के नए उत्तर प्रदेश के निर्माण के लिए लिया गया संकल्प
शेरपुर में नवनिर्मित बालेश्वर राय मार्ग का भव्य उद्घाटन
शेरपुर की वीरभूमि से आर्मनिर्भर भारत के निर्माण की रचनात्मक प्रक्रिया शुरू
देश भर से जुटे विद्वानों, शिक्षाविदों, संतो, राजनेताओं, उद्यमियों और समाज के चिंतकों ने रखी नवनिर्माण की वैचारिक नींव
गाजीपुर। पूर्वांचल में वीरों की धरती कहे जाने वाले गाजीपुर के शेरपुर में स्थित शहीद स्मारक परिसर में आज देश भर से विद्वान, उद्यमी, समाजसेवी, संत महात्मा, राजनेता और समाज को रचनात्मक दिशा देने वाले गण्यमान्य लोगों ने एक स्वर से नए भारत के नए उत्तर प्रदेश के निर्माण का संकल्प लिया। अवसर था प्रख्यात स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय बालेश्वर नारायण राय जी की पुण्य स्मृति में आयोजित शेरपुर संवाद कार्यक्रम का। यह कार्यक्रम इस वीर भूमि पर स्वर्गीय बालेश्वर राय जी के उद्यमी और सनातन चिंतक सुपुत्र संजय शेरपुरिया ने आयोजित किया था।
इस अवसर पर स्वर्गीय बालेश्वर राय जी की स्मृति में उनके पुत्र संजय शेरपुरिया ने स्वयं के खर्चे से गांव में शहीद स्थल तक एक ऐसी सड़क का निर्माण कराया है जो इस गांव के लिए वरदान साबित होगी। इस मार्ग का उद्घाटन आज ही क्षेत्र के सौ से ज्यादा ग्रामप्रधानों एवं पंचायत प्रतिनिधियों की उपस्थिति में किया गया। स्वर्गीय बालेश्वर राय जी ने अपने जीवनकाल में ही इस सड़क की इच्छा जाहिर की थी। आज उनके पुत्र ने श्रधंजलि स्वरूप इस सड़क को शेरपुर को समर्पित किया।
इस संवाद में जुटे विद्वानों ने पूर्वांचल के साथ ही उत्तर प्रदेश और नए भारत के निर्माण की नवीनतम योजनाओं और आधार संरचना पर विस्तृत प्रकाश डाला। श्रीमद भगवदगीता के पवित्र स्वर के साथ विशाल मंडप में लाखों लोगों ने उपस्थित होकर स्वतंत्रता सेनानी बालेश्वर नारायण राय जी को अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
पूर्वांचल में काशी से सटे गाजीपुर जनपद का एक गांव है शेरपुर कला। भारत के स्वाधीनता संग्राम में इस गांव ने बहुत ही महती भूमिका निभाई है। इस समय जब राष्ट्र अपनी स्वाधीनता के अमृत महोत्सव मना रहा है , तब राष्ट्र के अभिभावक स्वरूप आपके संज्ञान में कुछ तथ्य लाना आवश्यक लगता है।
भारत माता को स्वाधीन कराने के लिए शेरपुर के रणबांकुरों ने सतत बलिदान दिया है। 1922 के असहयोग आंदोलन,1930 के नमक सत्याग्रह, 1942 के अंग्रेजो भारत छोड़ो सन्दोलन से लेकर प्रत्येक संघर्ष में इस गांव के लोगों ने बढ़चढ़ कर अपनी भागीदारी निभाई। करो या मरो के नारे के साथ 1942 मे यहां के मुहम्मदाबाद तहसील में तिरंगा फहराने के आरोप में शेरपुर के 8 रणबांकुरे शहीद हुए और 100 से अधिक नौजवानों को घायलावस्था में अंग्रेजों ने जेल में डाल दिया। इनमें से 99 लोगों की सूची प्राप्त है। ये सभी लोग भारत के स्वाधीन होने के बाद 1947 में जेल से बाहर आये थे। इन 99 लोगों में अंतिम जीवित बचे स्वतंत्रता सेनानी श्री बालेश्वर देव नारायण राय जी थे जिनका निधन इसी माह 18 मार्च 2022 को हुआ है। श्री बालेश्वर देव नारायण राय जी प्रख्यात उद्यमी और लेखक तथा सामाजिक चिंतक संजय शेरपुरिया के पूज्य पिताजी हैं।