विभागीय कर्मचारियों की मिलीभगत से आरटीई एडमिशन मे विद्यालय कर रहे, मनमानी
स्कूल चलो अभियान को आईना दिखाता, आरटीई एडमिशन
विद्यालयो में यू डायस कोड जरूरी है, क्यों ?
आरटीई एडमिशन में जिम्मेदार अधिकारी मौन, विद्यालय प्रबंधन बेफिक्रे
गाजीपुर। एक तरफ स्कूलों में स्कूल चलो अभियान जोरों पर है दाखिले के लिए आ रहे छात्रों का स्वागत हो रहा है, वहीं बेसिक शिक्षा अधिकारी गाजीपुर वाह- वाही लूटते हुए नजर आ रहे हैं पर शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम के अंतर्गत नि:शुल्क दाखिला दिलाने मे सदर ब्लाक अंतर्गत स्कॉलर्स अकैडमी मिरनापुर, चौकिया, गाज़ीपुर उनके मंसूबों पर पानी फेर रहा है। विश्वस्त गोपनीय सूत्रों ने बताया कि इस खेल में विभागीय कर्मचारियों कि संलिप्तता से नकारा नहीं जा सकता हैं। क्षेत्र में जन चर्चाओं के अनुसार एडमिशन लेने आ रहे छात्रों को स्कॉलर्स अकेडमी, मिरनापुर, चौकिया गाज़ीपुर गेट से ही स्कूल प्रबंधन बहाना बनाकर वापस भेज रहा हैं। भीषण गर्मी में छात्रों के अभिभावक आरटीई के तहत प्रथम लिस्ट जो कि जिला अधिकारी एवं बेसिक शिक्षा विभाग से वेरीफाई होकर स्कूलों को भेजी गई। पहली लिस्ट में शामिल अभिभावक विद्यालय का चक्कर काट रहे हैं। सोहीलापुर निवासी एक अभिभावक ने बताया कि मेरे बच्चे का चयन होने के बाद भी बच्चे का एडमिशन नहीं किया जा रहा है। इस मामले में जब मीडिया प्रतिनिधि ने सदर ब्लाक के ब्लॉक एजुकेशन ऑफिसर (बीईओ) प्रीति गोयल से फोन पर बात की तो उन्होंने विद्यालय प्रबंधन से बात करने की बात कह कर टाल दी। इससे साफ जाहिर होता है कि कहीं ना कहीं शिक्षा विभाग के अधिकारियों की हीला हवाली से आरटीई के तहत एडमिशन को लेकर स्कूलो की मनमानी बढ़ती जा रही है। जबकि समस्या का निस्तारण बीईओ कार्यालय स्तर पर 'यू डायस कोड' का ध्यान रखते हुए हो जाना चाहिए। वहीं, इस मामले में स्कूल प्रबंधन ने बताया कि पिछले दो सालों से बजट नहीं आया है। बगैर बजट के दाखिले में दिक्कत होती है। और शिक्षा विभाग, विद्यालय प्रबंधन को परेशान करता रहता है। दूसरी तरफ, क्षेत्र के अभिभावकों ने बच्चों को आरटीई के तहत दाखिला न देने का आरोप लगाया। एक अभिभावक ने खंड शिक्षा अधिकारी से मिलकर शिकायत करते हुए स्कूल प्रबंधन पर कार्रवाई करने की मांग की है। आरटीई के तहत फाइनल लिस्ट में चयनित इच्छुक सभी छात्रों का दाखिला विभाग ही सुनिश्चित कराएगा या स्कूल चलो अभियान को पलीता लगाते हुए लोकप्रिय योगी सरकार को बदनाम करेगा। यह तो आने वाले समय पर ही निर्भर करेगा।